· Undergraduate Program
Ø Program Outcomes
1. भाषा और साहित्य के व्यापक स्वरूप तथा उसके महत्व को समझने में सक्षम हो सकेंगे।
2. भारतीय ज्ञान परम्परा की निरतंरता, उसके महत्व एवं उस ज्ञान परम्परा से स्वंय एवं समाज को समृद्ध करने की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे।
3. प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक भारतीय साहित्य की अवधारणा को समझ सकेंगे।
4. अपने विचार एवं भावों को मौखिक और लिखित रूप में अभिव्यक्त करने हेतु सक्षम हो सकेंगे।
5. मानविकी और समाज विज्ञान के विषयों के अंतर्संबंधों को समझ कर अपना दृष्टिकोण व्यापक कर सकेंगे।
6. साहित्य और लोकतत्व एवं लोकजीवन से जुड़कर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकेंगे।
7. विद्यार्थियों में तकों एवं प्रमाणों द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में निर्णय लेने की क्षमता का विकास हो सकेगा।
8. लैंगिक संवेदनशीलता एवं सद्भाव का विकास हो सकेगा।
9. नवीन संदभों में शोधदृष्टि विकसित होगी।
10. आधुनिक तकनीक के साथ हिन्दी के रिश्ते को समझने की क्षमता का विकास होगा।
11. साहित्य के साथ मानव जीवन, विज्ञान तथा पर्यावरण को परिभाषित कर सकेंगे।
12. रोजगार के अवसरों की तलाश, सौंपी गई जिम्मेदारियों के निर्वहन एवं स्वयं का व्यवसाय शुरू करने संबंधी क्षमताओं की समझ का विकास हो सकेगा।
Ø Key Details for Each Course
v Course Name - B.A.
v Prerequisites As per requirement
v Course Learning Outcomes 1st Sem.
1. विद्यार्थी साहित्येतिहास, काल विभाजन एवं नामकरण संबंधी ज्ञान से अयनात हो सकेंगे।
2. युगीन परिस्थितियों और साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर साहित्य और समाज के अन्तर्सक्थों को सनझ पाने में सक्षन हो सकेंगे।
3. युगीन सामाजिक सांस्कृतिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में व्यापक दृष्टिकोण की समझ का विकास हो सकेगा।
4. आदिकाल से रीतिकाल तक के सम्पूर्ण रचनाकारों की रचनाओं और उसके विविध विषयों पर विश्लेषणात्मक विचारसीलता का विकास हो सकेगा।
5. हिन्दी गद्य के आविर्भाव के प्रधान कारणों एवं परिस्थितियों को समझ सकेंगे।
2st Sem.
1. युगीन परिस्थितियों और साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर विद्यार्थी पुनर्जागरण काल एवं जागरण सुधार काल के प्रमुख रचानाकारों की उपादेयता को गहनता से समझ सकेंगे।
2. हिन्दी पद्य के साथ गद्य के क्रमबद्ध विकास को समझ सकेंगे।
3. छायावाद एवं छायावादोत्तर काव्य के माध्यम से तत्कालीन स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठ भूमि से विद्यार्थी अवगत होंगे।
4. स्वातंत्र्योत्तर पद्य और गद्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से विद्यार्थी बदलते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को समझने में सक्षम हो सकेंगे।
5. भूमण्डलीकरण के दौर में युगीन हिन्दी साहित्य को विश्व साहित्य के समानान्तर रख कर मूल्याकनपरक दृष्टि एवं समझ का विकास हो सकेगा।
v Course Content
B.A. 1st Sem. (Hindi Shahitya) - https://www.gnapgcollege.in/Content/137_184_HINDI%201ST%20SEM..pdf
Hindi Bhasha - https://www.gnapgcollege.in/Content/138_184_CamScanner%2001-28-2025%2014.14.45.pdf
B.A.,BSC.,B.Com- 2-https://www.gnapgcollege.in/Content/144_184_PDFGallery_20250104_131244.pdf
B.A.,BSc.,B.Com.-3 - https://www.gnapgcollege.in/Content/146_184_PDFGallery_20250104_165622.pdf
B.A. - 2 (Hindi Shahitya) -https://www.gnapgcollege.in/Content/147_184_PDFGallery_20250104_130925.pdf
B.A. - 3 (Hindi Shahitya) - https://www.gnapgcollege.in/Content/148_184_PDFGallery_20250104_130348.pdf
· Postgraduate Program
Ø Program Outcome
POI- Knowledge (ज्ञान) हिंदी भाषा-साहित्य के माध्यम से साहित्यिक अवधारणाओं, सिद्धांतों की समझ का पूर्णता में निदर्शन।
PO2- Critical Thinking and Reasoning (आलोचनात्मक सोच और तर्क) भाषा और साहित्य के माध्यम से विद्यार्थियों में समीक्षात्मक दृष्टिकोण, तार्किकता, विश्लेषण एवं विवेचन की दक्षता का विकास
PO3-Problem Solving (समस्या समाधान) साहित्यिक रचनाओं के अध्ययन से सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संदभों के विवेचन एवं विश्लेषण की समझ। वैश्विक समस्याओं का मानवीय दृष्टिकोण से उन्नत समाधान ।
PO4-Advanced Analytical and Computational Skills (उन्नत विश्लेषणात्मक संगणकीय कौशल) -हिंदी कम्प्यूटिंग के माध्यम से आंकड़ा संसाधन, शब्द संसाधन, मशीनी अनुवाद एवं शिक्षण द्वारा कौशल विकास करना।
PO5-Effective Communication (प्रभावी जनसंचार) अनुप्रयोगात्मक हिंदी, संप्रेषणपरक हिंदी एवं मीडिया पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रभावी जनसंचार द्वारा विद्यार्थियों को दक्ष बनाना।
PO6-Social/Interdisciplinary Interaction (सामाजिक /अंतरविषयी सहभागिता) - साहित्य के विविध सिद्धांतों से परिचय, विमर्श मूलक साहित्य के अध्यायों को प्रकृति, समाज, एवं सांस्कृतिक परिवेश से सम्बद्ध कर अध्ययन करना।
PO7- Self-Directed and Lifelong Learning (स्व-निर्देशित एवं आजीवन अधिगम की प्रेरणा) - हिंदी
P08-भाषा एवं साहित्य द्वारा वैश्विक जीवन मूल्यों से व्यक्तिगत, सामाजिक एवं वैश्विक स्तर पर निर्देश निदेशन और मूल्य आधारित शिक्षा का प्रसार। Effective citizenship: Leadership and Innovation (प्रभावी नागरिकताः नेतृत्व एवं नवाचार)
विभिन्न साहित्यिक, रचनात्मक, एवं सामाजिक क्षेत्र में प्रबुद्ध नागरिक तैयार कर नेतृत्व का विकास तथा नवाचार के माध्यम से शिक्षा, कौशल का विकास एवं वृद्धि।
PO9-Ethics (नैतिकता) नवोन्मेषी अनुसंधान, आदिकालीन एवं मध्यकालीन संत साहित्य के माध्यम से सामाजिक व नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार तथा शोधानुसंधान में मौलिकता को बनाए रखने के लिए मूल्य शिक्षा ।
PO10-Further Education and Employment (सतत शिक्षा एवं रोजगार) हिंदी भाषा व साहित्य के अनुसंधान एवं सृजनात्मक लेखन द्वारा सतत शिक्षा तथा पत्रकारिता, मीडिया, अनुवाद, संवाद लेखन, पटकथा लेखन आदि विविध क्षेत्रों में रोजगार ।
PO11-Global Perspective(वैश्विक परिप्रेक्ष्य) हिंदी भाषा में वैश्विक भाषा एवं साहित्य का अंतःसंबंध और अनुवाद। भारतीय, प्रवासी तथा विश्व साहित्य का अध्ययन एवं विवेचन ।
Ø Key Details for Each Course
v Course Name - MASTER OF ARTS
v Prerequisites
v Course Learning Outcomes M.A. 1st Sem.
Paper 1st -आदिकाल एवं पूर्व मध्यकाल के इतिहास के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों को इतिहास दर्शन, हिंदी साहित्येतिहास लेखन परंपरा, पुनर्लेखन की समस्याओं, काल-विभाजन व नामकरण से अवगत कराते हुए तत्कालीन पृष्ठभूमि, काव्य धाराओं, प्रवृत्तियों, प्रमुख कवियों व उनकी रचनाओं से परिचित कराना है जिससे विद्यार्थियों में हिन्दी साहित्य की सांस्कृतिक विरासत, लोकचेतना एवं मानवीय मूल्यों के संरक्षण की भावना के साथ-साथ सृजनात्मकता का विकास हो।
Paper 2nd-आदिकालीन एवं निर्गुणभक्ति काव्य के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में तत्त्कालीन प्रमुख कवियों तथा उनकी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक एवं आध्यात्मिक परिदृश्य की समझ विकसित करने के साथ-साथ हिंदी भाषा के विकासक्रम, काव्य शिल्प, संवेदनशीलता, सांस्कृतिक परंपरा, नैतिक मूल्य एवं भावाभिव्यक्ति के विश्लेषण की क्षमता का विकास करना है।
Paper 3rd-विद्यार्थियों को छायाबाद एवं पूर्ववर्ती काव्य के विविध आयामों, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैचारिक पृष्ठभूमि से परिचित कराते हुए उनमें तत्कालीन प्रमुख कवियों के रचना शिल्प, भाषा रौली, भावाभिव्यंजना, सांस्कृतिक मूल्यों एवं काव्य प्रवृत्तियों के विश्लेषण की क्षमता विकसित करना है।
Paper 4th-विद्यार्थियों को छायाबाद एवं पूर्ववर्ती काव्य के विविध आयामों, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैचारिक पृष्ठभूमि से परिचित कराते हुए उनमें तत्कालीन प्रमुख कवियों के रचना शिल्प, भाषा रौली, भावाभिव्यंजना, सांस्कृतिक मूल्यों एवं काव्य प्रवृत्तियों के विश्लेषण की क्षमता विकसित करना है।
Paper 5th-विद्यार्थियों को छायाबाद एवं पूर्ववर्ती काव्य के विविध आयामों, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैचारिक पृष्ठभूमि से परिचित कराते हुए उनमें तत्कालीन प्रमुख कवियों के रचना शिल्प, भाषा रौली, भावाभिव्यंजना, सांस्कृतिक मूल्यों एवं काव्य प्रवृत्तियों के विश्लेषण की क्षमता विकसित करना है।
Course Learning Outcomes M.A. 2nd Sem.
Paper 1st -उत्तर मध्यकाल से आधुनिककाल तक के साहित्येतिहास के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में विभित्र सांस्कृतिक दृष्टिकोणों और कालखंडों में रचित कृतियों के कलात्मक अवलोकन की क्षमता विकसित करने के साथ-साथ नवीन जीवन मूल्य आलोचनात्मक चिंतन दृष्टि, जीवन के विविध पक्षों के व्यावहारिक ज्ञान तथा सृजनात्मकता की समझ विकसित करना है
Paper 2nd-सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में तद्युद्युगीन परिदृश्य, काव्य शिल्प, लोकव्याप्ति के विविध आयाम, दार्शनिक विचार, भक्ति के स्वरूप, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की प्रेरणा, सामाजिक साहित्यिक सरोकारों एवं चिंतन की समझ विकसित करना है।
Paper 3rd-प्रगतिवादी एवं प्रयोगवादी काव्य के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में परिवर्तनशील सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक मान्यताओं, पथार्थवादी दृष्टिकोण, नवीन सौदर्यबोध मानवतावादी मूल्य, व्यक्तिगत जीवनानुभव, रचनात्मक विविधता एवं जनवादी संवेदनाओं के गहन विश्लेषण की समझ विकसित करना है।
Paper 4th-आधुनिक गद्य साहित्य के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में गद्य की विभित्र विधाओं के माध्यम से लेखन कौशल, अभिव्यक्ति की सशक्तता, तार्किकता, रागात्मकता, चिंतन-मनन की प्रौढ़ता, स्वतंत्र चेतना एवं बतुर्दिक परिवेश की विकास प्रक्रिया की समझ विकसित करना है।
Paper 5th-हिन्दी गद्य विधाओं के अध्ययन का उद्देश्य विद्यार्थियों में संस्मरण, यात्रावृत्तांत, आत्मकथा, जीवनी, गीतिनाट्य आदि विधाओं में वर्णित सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश, गद्य लेखन परंपरा के विविध आयामों, तुलनात्मक विश्लेषण की क्षमता, सृजनात्मक प्रेरणा तथा जीवनानुभवों की गहरी समझ को विकसित करना है।
v Course Content
M.A.-1st&2ndSem.https://www.gnapgcollege.in/Content/149_184_M.A.%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A5%E0%A4%AE%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5
M.A.-3rd&4thSem.https://www.gnapgcollege.in/Content/150_184_%E0%A4%8F%E0%A4%AE%20%E0%A4%8F%20%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%9A%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%